प्रयागराज के महाकुंभ में सनातन का सबसे बड़ा मेला
Mahakumbh mai viral iit baba abhay singh: प्रयागराज के संगम पर महाकुंभ में सनातन का सबसे बड़ा मेला लगा हुआ है। हिंदू धर्म और आस्था को चित्रित करते विचित्र चेहरों का समागम हो रहा है। भस्म लपेटे धूनी रमाते नाचते गाते झूमते लाखों साधु संत महंत का जमावड़ा लगा हुआ है।
लेकिन लाखों साधु संतों और महंतों की इस भीड़ में कैमरे 34 साल के उस अल्हड़ बैरागी से हटने का नाम ही नहीं ले रहे। परिवर्तन हो रहा है, ना अभी काल चक्र घूम रहा है।
अभय सिंह: एक आईआईटीयन से बैरागी तक का सफर
गोरा चिट्टा रंग, चौड़ा सा माथा, लंबे लंबे बाल, चेहरे पर दाढ़ी, गले और हाथों में मोटी-मोटी कंठ और रुद्राक्ष की माला। वैसे साधु संत महात्मा और महंत ऐसे ही होते हैं, सांसारिक माया मोह से अलग अपनी अलौकिक दुनिया में खोए हुए। फिर क्या बात है जो इस बैरागी को दूसरों से अलग खड़ा करती है?
ज्ञान की खोज में बैरागी
सच्चाई की खोज में निकले अभय सिंह को लगता है कि वो सारी चीजें अभी उन्हें प्राप्त करनी हैं। महादेव के साथ रहने का अहसास उन्होंने साढ़े चार साल की तपस्या में ही कर लिया।
अभय सिंह का परिचय
हरियाणा के झज्जर में मौजूद डी एच लॉरेंस स्कूल में कक्षा 12वीं का टॉपर रह चुके अभय सिंह ने 2008 में भारत की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा आईआईटी जेई को क्रैक किया।
इसी रैंक की बदौलत उन्होंने बॉम्बे के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की। झज्जर के छोटे से गांव सिसरो से बम्बे की आईआईटी तक का सफर बड़ी बात है।
आईआईटी से बैरागी बनने का निर्णय
अभय सिंह ने ज्ञान की राह पर चलने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे की वजहें क्या थीं? यह जानना दिलचस्प है।
अभय सिंह की आध्यात्मिक यात्रा
अभय सिंह ने सांसारिक माया मोह से खुद को अलग कर लिया। जूना अखाड़े में शामिल होकर उन्होंने धूनी रमा ली।
अभय सिंह के पिता करण सिंह ग्रेवाल ने भी इस परिवर्तन के बारे में हाल ही में जानकारी प्राप्त की।
अभय सिंह की जीवन दर्शन
अभय सिंह का जीवन दर्शन यह है कि जब तक जीवन का मीनिंग समझ में नहीं आता, तब तक खेल खेलना व्यर्थ है।
अभय सिंह का करियर
आईआईटी बम्बे में चार साल की पढ़ाई के बाद अभय सिंह ने मास्टर इन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया।
उन्होंने फैशन इंडस्ट्री की फेमस मैगजीन वॉग और जीक्यू के लिए भी काम किया।
डिप्रेशन और कनाडा का अनुभव
2017 में अभय सिंह डिप्रेशन का शिकार हो गए। कनाडा में उन्होंने शानदार जॉब हासिल की लेकिन अकेलापन दूर नहीं हो सका।
महादेव की शरण में
अभय सिंह ने महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया। उन्होंने पैदल ही चारों धाम की यात्रा की और अंततः वैरागी बन गए।
अभय सिंह की नई पहचान
अभय सिंह की नई पहचान एक वैरागी के रूप में है। उनका जीवन दर्शन यह है कि सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।
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अभय सिंह का जीवन एक प्रेरक कहानी है। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में सच्ची खुशी और संतुष्टि कहां मिलती है।
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